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शुभ दीपोत्सव -यशवंत दीक्षित


बैर भाव दूर करें,सुधा बहे अधरों से
हर दिन सूर्य यहां प्रीत का उत्कर्ष हो।

हर एक वर्ग का हृद से सम्मान होवे
वेदना हो चूर-चूर, हर्ष भी सहर्ष हो।

छल भय, क्रूरता, अंधकार का जगत में,
निर्भय उस दीप की तरह ही संघर्ष हो।

समृद्धशाली,सुखी-औ-सम्पन्न हो हमारा देश,
शुभ -शुभ दीपोत्सव का यह वर्ष हो।

-यशवंत दीक्षित, नागदा

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