म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

चेहरे पे लिखी है कहानी (ग़ज़ल) -कमलेश कंवल


क्या कहे रुदादे जिंदगानी अपनी,
चेहरे पे लिखी है कहानी अपनी।

गेसुओ आंसुओं की बातें क्या करे,
हो चली है बिटिया सयानी अपनी।

वो गए जीत मीठा मीठा बोल के,
ले डूबी हमको बदजुबानी अपनी।

सीढियां जो हम चढ़ते गए उम्र की,
मानिंदे शाम ढलती गई जवानी अपनी।

-कमलेश कंवल, उज्जैन

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