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धूप के तेवर (नवगीत)


आंखों में
अपनों - सी
चुभने लगी धूप ।

अपनों - से गर्म हुए -
धूप के तेवर ।
दिन ने रहन रख दिए -
छांव के जेवर ।

अंगार में
भुट्टे - सी
सेंकने लगी धूप ।

पसीने से तर हुए -
धूप के रूमाल ।
हवाएं करने लगीं -
पेड़ों को कंगाल ।

रहजन - सी
राहों में
ठगने लगी धूप ।

पंखों के काफ़िले -
चल पड़े सफ़र पर ।
कूलर , एसी भी अब -
लौट आए घर पर ।

पगलाकर
दुपहर पर
बकने लगी धूप ।

घुसपैठिए - सी घर में -
घुस आई धूप ।
तुलसी का भी सूख -
कुम्हला गया रूप ।

सुबह से
अलाव - सी
दहकने लगी धूप ।

-अशोक 'आनन' मक्सी (म.प्र.)

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