✍️आयुष गुप्ता
तू नहीं तो फिर तिरा पैग़ाम आए
तब कहीं दिल को मिरे आराम आए
रंग उड़ जाए मिरे इस चेहरे का
बज़्म में तेरा कभी जो नाम आए
तुम न आए तो रही बेरंग महफ़िल
शेर ना साक़ी न कोई जाम आए
ज़ब्त-ए-ग़म-ए-मुहब्बत ना रहा अब
हो मुझे आराम या अंजाम आए
वक़्त की किल्लत मुझे हर दोपहर हैं
याद से अपनी कहो हर शाम आए
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