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शिक्षा और शिक्षक



✍️डॉ. अनिता जैन 'विपुला'

शिक्षा वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए।

अपनी जननी जन्मभूमि पर मर मिटना सिखाए।

 

फलों से लकदक पेड़ों की तरह विनम्र बनाए।

जब भी थामें कलम अपनी मिट्टी को महकाए।

कला, संस्कृति, भाषा और विज्ञान की भी हो पोषक,

जो उपकार करावे, कृतज्ञता का पाठ पढ़ाए।

शिक्षा वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए....

 

हर एक बालक में बसे हुनर को जो जगा पाए। 

ज्ञान के भंडार वेद-शास्त्रों का मान बढ़ाए।

केवल पैसा कमाने का नज़रिया न हो जिसमें, 

ऐसी आत्मनिर्भर करने वाली सीख दे पाए।

शिक्षा वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए....

 

ज्ञान शक्ति से जो अज्ञान अर्गला को खोल पाए।

छोड़ें हम आलस्य को, पल-पल का मोल सिखाए।

त्याग, तपस्या,दया, क्षमा, सत्य को समझे ऐसे,

“सा विद्या या विमुक्तये” का मंत्र रच बस जाए।

शिक्षा वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए....

 

जो शिक्षा समाज हित मे जीने की राह दिखाए।

कोई काम नहीं है छोटा का विश्वास जगाए

डॉक्टर इंजीनियर अफ़सरों की फेहरिस्त नहीं, 

हर एक में स्वाभिमान व आत्मविश्वास जगाए।

शिक्षा वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए......

 

विद्या देते जो शिक्षक उनका सम्मान सिखाए।

रहे नेक नीयत कि शिक्षा को व्यापार न बनाए

कोरी डिग्री नही, सच्चा ज्ञान हो लक्ष्य जिसका,

जो शिक्षा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर पाए।

शिक्षा वही जो राष्ट्र पर गौरव करना सिखाए......

 

*उदयपुर

 


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