✍️अंकुर सहाय 'अंकुर'
तोल रहा है ।
बोल रहा है ।।
सुर में मिसरी
घोल रहा है ।।
बैरागी मन
डोल रहा है ।।
ज्ञान गठरिया
खोल रहा है ।।
पीट बता क्यों
ढोल रहा है ?।
प्यार भला कब
मोल रहा है !।
'अंकुर'पढ़ भू -
गोल रहा है ।।
*आज़मगढ़
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