✍️प्रदीप ध्रुव भोपाली
लौटा दो हमारा दिल हमारे पास आने दो।
तड़पाओ नहीं ज़्यादा उसे तो ग़म मिटाने दो।
अनजाने किसी का दिल कभी लूटा नहीं करते,
लूटा है रिहा कर आज किस्मत आजमाने दो।
तेरी ये बग़ावत यूं कहें वो मार डालेगी,
उसको तो किसी दर और अब तो यार जाने दो।
नाज़ुक ज़िन्दगी अरमान ले कर जो चली है तो,
कर दो राह भी आसां उसे तो मुस्कराने दो।
गर वो बेखता है तो जिसे ज़िल्लत मिली बरसों,
उसकी ज़िन्दगी अब ध्रुव यकीनन खिलखिलाने दो।
*भोपाल मध्यप्रदेश
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ