✍️डॉ. ब्रह्मजीत गौतम
आज नहीं तो कल आयेंगे
लेकिन हम अव्वल आयेंगे
मेह्नत के पेड़ों पर इक दिन
निश्चित मीठे फल आयेंगे
जीवन की अभिनय-शाला में
कुछ सज्जन कुछ खल आयेंगे
बैठे जो सच की नौका में
वे सब पार निकल आयेंगे
आज भले ही साथ न कोई
पर कल दल के दल आयेंगे
पूछ रहे हैं होरी-धनिया
कब सुख के दो पल आयेंगे
आज नहीं जो आँख मिलाते
वे कल सिर के बल आयेंगे
झाँक सको तो झाँको मन में
लाखों दाग़ उछल आयेंगे
“जीत” तुम्हारी एक ग़ज़ल से
सब मसलों के हल आयेंगे
*ग़ाज़ियाबाद
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