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आजकल ये सोचता हूँ



*कैलाश सोनी सार्थक


खुशनुमा ही जिंदगी हो आजकल ये सोचता हूँ
हर कदम पर बस खुशी हो आजकल ये सोचता हूँ


दूर हो गम की खिजाँ सुख की फिजाँ छाए यहाँ बस
जिंदगी में ताजगी हो आजकल ये सोचता हूँ


हर तरफ हैरान जीवन गम की बारिश हो रही है
 दूर अब ये बेबसी हो आजकल ये सोचता हूँ


बंद रहकर सादा जीवन क्या है जाना देख अब ये
ताउमर ये सादगी हो आजकल ये सोचता हूँ


भोर आई तो भजन आराधना  हर रोज की है
रोज ऐसी बंदगी हो आजकल ये सोचता हूँ


साल उन्नीस सौ गया ये बींसवा भारी पड़ा है
ऐसी न अगली सदी हो आजकल ये सोचता हूँ


वक्त जैसा चाहते हम वक्त वैसा ही बताए
पास में ऐसी घड़ी हो आजकल ये सोचता हूँ


दूर है मुस्कान लब से मस्तियाँ मन से नदारद
चालू फिर से दिल्लगी हो आजकल ये सोचता हूँ


सोच देती होंसला ये सोच ही विश्वास है
सोच सोनी की खरी हो आजकल ये सोचता हूँ
*नागदा( उज्जैन)


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