*हमीद कानपुरी
खुदकी अपनी ज़मीन रखता है।
पर ख़ुदा पर यक़ीन रखता है।
सब के सब पुरयक़ीन रखता है।
साथ में कुछ ज़हीन रखता है।
सूचनायें महीन रखता है।
ठीक से छान बीन रखता है।
पास उसके बड़ा खज़ाना पर,
सादगी पर यक़ीन रखता है।
ज़ेब खाली है हाथ भी खाली,
ज़िन्दगी पर हसीन रखता हैे।
आज़माना उसे नहीं आता,
आदमी पर यक़ीन रखता हैे।
फील्ड का है बहुत बड़ा माहिर,
फार्म भी बेहतरीन रखता है।
*हमीद कानपुरी,
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