उज्जैन। भावनाओं में स्वार्थ वाला एक भी न प्रश्न हो,पांडवों सी इन्द्रियां और मन हमारा कृष्ण हो ये पंक्तियाँ गीतकार हेमंत श्रीमाल ने जैन कवि संगम उज्जैन इकाई द्वारा आयोजित क्षमावाणी काव्यगोष्ठी में पढ़ी तो पूरा सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
जैन कवि संगम द्वारा आयोजित क्षमावाणी कवि गोष्ठी में शहर के राकेश चौरड़िया ने जब तक श्वास रहे , मन मे नवकार रहे, श्रीमती भारती जैन ने ऋषभ देव जैसा शासक हो ,और वैसा ही हो देश, दिलीप जैन ने क्षमा भाव अनंत हो,जिन शासन जयवंत हो,डॉ.अर्चना राकेश ने क्षमावाणी का शुभ दिन आया,ह्रदय से ह्रदय मिलाने का दिन आया, संदीप सृजन ने ज्ञान ,भक्ति, तप ,साधना, जीव दया,उपकार, पर्व पर्युषण में करे, सभी आत्म उद्धार।,डॉ. अंबरीश जैन ने जो मांगे क्षमा वो वीर कहलाये, जो क्षमा कते वो महावीर कहलाये,डॉ. खुशबु बाफना ने क्षमा माँगने से उलझने सुलझ जाती है। पढ़कर क्षमापना और महापर्व पर्युषण के महत्व को दर्शाया।
राकेश जैन खेमसरा ने यह मुमकीन ही नही कि भारत से बढ़कर कुछ भी हो,हमें प्यारा है यह देश अपनी जान से बढ़कर,राजेंद्र जैन मेरे प्रभु की भक्ति का अजब निराला ठाठ,जो मै जाऊ एक पग वो आये पग साठ,श्रीमती संगीता तल्लेरा शब्द भी यात्रा करते हैं,कभी हँसाते कभी रुलाते,हर रिश्ते को कह जाते है, सुदीप जैन ने पर्वराज पर्युषण आया,स्वागत इसका करते है,गत वर्षो हुई भूलो की क्षमा याचना करते है,योगेन्द्र बैनाड़ा ने हर प्राणी के मन में जब क्षमा का भाव होगा,तब ही धारा पर शांति और सदभाव होगा पढ़कर गोष्ठी में दादा बटोरी और गोष्ठी का आध्यत्म और दर्शन की ऊंचाई प्रदान की।
गोष्ठी में अनिल पांचल सेवक ने विशेष उपस्थिति दर्ज करवाते हुए मालवी कविता में सीधो सादो इंसान पढ़कर मन मोह लिया। गोष्ठी में सुगनचंद्र जैन ने क्षमा किसी की हार नही सभी की जीत है पढ़कर गोष्ठी का उपसंहार किया। क्षमावाणी काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि गीतकार हेमंत श्रीमाल रहे,अध्यक्षता श्री सुगनचंद्र जैन ने की, सरस्वती वंदना डॉ. खुशबू बाफना द्वारा की गई। संचालन योगेन्द्र बेनाड़ा ने किया, आभार राजेन्द्र जैन ने व्यक्त किया।
गोष्ठी में हाल ही में साहित्य अकादमी म.प्र. द्वारा नारद मुनि पुरस्कार प्राप्त होने पर संदीप सृजन का और श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित होने पर सुदीप जैन का अभिनंदन किया गया।
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