नई दिल्ली। नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, दक्षिण दिल्ली की ओर से नई दिल्ली के एनआईएच टीचिंग ब्लॉक सभागार में आयोजित राजभाषा सम्मेलन के अंतर्गत भव्य 'कवि सम्मेलन' आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता देश के सुप्रसिद्ध कवि-आलोचक प्रोफेसर जितेंद्र श्रीवास्तव ने की। साथ ही श्रृंगार कवयित्री डॉ. कीर्ति काले, हास्य कवि ओमप्रकाश कल्याणे, वीर रस के कवि अरविंद पथिक तथा संवेदनशील कोमल भावनाओं के कवि डॉ. गणेश शंकर श्रीवास्तव 'ऋषि' ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
वरिष्ठ कवयित्री डॉ कीर्ति काले ने 'मेरे पिया ने पीली भंग' कविता सुना कर पूरे सभागार को मस्ती और आनंद से भर दिया. प्रोफेसर जितेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता 'सोनचिरई' का पाठ कर श्रोताओं को भावुक कर दिया। प्रोफेसर जितेंद्र की यह कविता कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है. कवि ओम प्रकाश कल्याणे ने अपनी हास्य कविताएं सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया गुदगुदाया। अरविंद पथिक ने वीर रस की कविताएं सुनाकर वातावरण को राष्ट्रभक्ति और देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया।
डॉ गणेश शंकर श्रीवास्तव ने जब अपनी कविता 'सनातन' सुनाई तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनकी कविता के साथ ताल मिलाकर सभागार को उर्जा से भर दिया। डॉ गणेश श्रीवास्तव के दोहों ने भी श्रोताओं को खूब गुदगुदाया, उन्होंने दोहा पढ़ा- 'झूठ-मूठ की बात का, लेते हैं संज्ञान। शायद कोई भर गया, साहब जी के कान।।' नराकास समिति के सदस्य सचिव अंकुर विजयवर्गीय ने सभी कवियों का धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन मीनाक्षी भाटिया ने किया।
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