गोहाना। बहुश्रुत जयमुनिजी एवं आदीशमुनिजी के सान्निध्य में 18-20 अक्टूबर 2024 को गोहाना (हरियाणा) में तृतीय आगम ठाणांग सूत्र पर तीसरी राष्ट्रीय प्राकृत संगोष्ठी हुई। श्रुत रत्नाकर, अहमदाबाद के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग ने ठाणांग सूत्र में वर्णित ग्राम धर्म, नगर धर्म आदि दस धर्मों का आधुनिक विवेचन विषय पर 15 पृष्ठों का शोधनिबंध प्रस्तुत किया और व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि जैन आगमों में व्यसनमुक्त, प्रदूषणमुक्त और आत्मनिर्भर गाँव का मार्गदर्शन मिलता है। गाँव को समर्थ बनाकर देश को मजबूत बनाया जा सकता है।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. धींग ने कहा कि जैन धर्म के विकास में पुण्य तत्व की उपादेयता और सेवा कार्यों का बहुत महत्व है। जयमुनि ने सुझाया कि हर जैन श्रीसंघ को अपने बजट का 5 प्रतिशत या कुछ अंश प्राकृत भाषा के विकास के लिए नियोजित करना चाहिये। भगत फूलसिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुदेश छिकारा, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री प्रो. सुरेन्द्र जैन और श्रुत रत्नाकर के निदेशक डॉ. जितेंद्र बी. शाह ने डॉ. धींग का सम्मान किया। इस अवसर पर जिनवाणी के संपादक डॉ. धर्मचंद जैन सहित देशभर से जुटे जैनविद्या, प्राच्यविद्या और प्राकृत संस्कृत के विद्वान उपस्थित थे।
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