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साइलेंट किलर की भूमिका में हाइपरटेंशन -डॉ. प्रितम भि. गेडाम

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 17 मई विशेष

हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ती जानलेवा बीमारियों की जननी है, जिससे लाखों लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से दिल का दौरा या स्ट्रोक, धमनीविस्फार, दिल की धड़कन रुकना, गुर्दे संबंधित समस्याएं, आंखों की समस्या, चयापचयी समस्या, मनोभ्रंश, स्मृतिदोष जैसी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि साधारणत इसके लक्षण दिखाई नहीं देते और अचानक शरीर में आघात होता है। हर साल 17 मई को दुनियाभर में "विश्व उच्च रक्तचाप दिवस" हाइपरटेंशन के बारे में जागरूकता बढ़ाने, स्थिति का शीघ्र पता लगाने को बढ़ावा देने और स्वस्थ भविष्य के लिए उच्च रक्तचाप के प्रभावी प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। सामान्य बीपी अर्थात रक्तचाप 120/80 या उससे कम होता है। हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) तब होता है जब रक्त वाहिकाओं में दबाव सामान्य से बहुत अधिक (140/90 या अधिक) होता है, यह शुरुआत होती है, लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है। रक्त पंप करने के लिए हृदय को सामान्य से अधिक दबाव सहन करना पड़ता है। उच्च रक्तचाप का पता लगाने का एकमात्र तरीका अपने रक्तचाप की जांच करवाना है।

डब्ल्यूएचओ ने उच्च रक्तचाप के बारे में कुछ मुख्य तथ्य दर्शाए हैं, दुनिया भर में 30-79 वर्ष की आयु के अनुमानित 1.28 अरब वयस्कों को उच्च रक्तचाप है, जिनमें से अधिकांश (दो-तिहाई) निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। अनुमानित 46% वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित इस बात से अनजान हैं कि उन्हें यह समस्या है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित आधे से भी कम वयस्कों (42%) का निदान और उपचार किया जाता है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित लगभग 5 में से केवल 1 वयस्क (21%) में यह स्थिति नियंत्रण में है। उच्च रक्तचाप दुनिया भर में असामयिक मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, जिससे प्रति वर्ष 75 लाख मौतें होती है, जो वैश्विक स्तर पर लगभग 30 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है।

उच्च रक्तचाप में वैश्विक प्रभाव की स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि, यदि उच्च रक्तचाप से पीड़ित आधे लोग भी अपने रक्तचाप को नियंत्रण में रखें तो भारत देश में 2040 तक कम से कम 46 लाख असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित केवल 37 प्रतिशत भारतीयों का ही निदान हो पाता है और उनमें से केवल 30 प्रतिशत ही इलाज करा पाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में, देश में उच्च रक्तचाप से पीड़ित केवल 15 प्रतिशत लोगों में ही यह स्थिति नियंत्रण में है। वास्तव में, इसमें कहा गया है, देश में दिल का दौरा जैसी हृदय संबंधी बीमारियों के कारण होने वाली आधी से अधिक मौतों (52 प्रतिशत) का कारण उच्च रक्तचाप हो सकता है। जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में उच्च रक्तचाप की समस्या सबसे अधिक है, लगभग 30 प्रतिशत भारतीय आबादी इससे पीड़ित है।

हममें से 90 प्रतिशत से अधिक लोग ऐसे गलत खान-पान का सेवन कर रहे हैं, जो जानवरों के भी खाने लायक नहीं है। तैलीय, मसालेदार, नमकीन, मैदा, मीठा और प्रोसेस्ड भोजन हमारे शरीर में धीमे जहर की तरह काम करते हैं, जो हमें घातक बीमारियों से मौत के मुँह में धकेलते है। आधुनिकता और दिखावा मनुष्य के विनाश का कारण बन गया है, आधुनिकता केवल हमारे विचारों में होनी चाहिए, ये मनुष्य समझ ही नहीं रहा है, कि भौतिक सुख सब कुछ नहीं है। भौतिक सुख-सुविधा पर निर्भरता ने मनुष्य को काफी हद तक मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर कर दिया है, जिससे मनुष्य की सहनशक्ति, विचारशक्ति क्षीण होकर तनाव, चिड़चिड़ापन, दुर्व्यवहार और स्वार्थीवृत्ति में लगातार वृद्धि हुयी है। इससे सामाजिक समस्याओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिसका सीधा असर स्वास्थ्य समस्याओं पर पड़ता है। बड़ी उम्र, आनुवंशिकी, अधिक वजन या मोटापा, शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, अधिक नमक वाला आहार, बहुत अधिक धूम्रपान, शराब पीना जैसी स्थिति उच्च रक्तचाप होने का ख़तरा बढ़ाता है।

ग्रामीण आबादी के मुकाबले सुविधा संपन्न शहरी जनसंख्या अधिक बीमारियों का बोझ ढोते है। शहर में विकास के नाम पर शरीर कमजोर हो गए है। प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान, व्यसन, अनिद्रा, मिलावटखोरी, व्यायाम की कमी, संसाधनों पर निर्भरता अर्थात आधुनिक जीवनशैली ने शारीरिक और मानसिक तौर पर हमें बीमार बनाया है। अब हार्ट अटैक या स्ट्रोक उम्र देखकर नहीं बल्कि छोटे बच्चों से लेकर किसी को भी, कभी भी हो सकता है। प्रदूषित वातावरण इस हद तक बढ़ गया है कि गर्भावस्था के दौरान भी गर्भ में पल रहे बच्चों में विकलांगता और जानलेवा बीमारियों में वृद्धि हो रही है। स्वास्थ्य सम्बंधित बढ़ती समस्याओं के मूल कारण की ओर लोगों में विशेष जागरूकता नजर नहीं आती है। बीमारियां लगातार क्यों बढ़ रही है, इसके प्रति समाज और देश में बड़े पैमाने पर इतिहास रचने लायक जनजागृति और कड़े नियमों, कानूनों की आवश्यकता है। स्वास्थ्य से खिलवाड़ होने लायक कोई भी गतिविधि देश में नहीं होनी चाहिए, ये पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की है और सरकार को पूरा सहयोग करने की नैतिकता जनता की है।

हाइपरटेंशन के रोकथाम में दवा और आधुनिक जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ अधिक हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल खाएं, ज्यादा देर तक लगातार बैठना टाले, शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहें, जैसे चलना, दौड़ना, तैरना, नृत्य करना या वजन उठाने जैसी ताकत बढ़ाने वाली गतिविधियां अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अपने वजन को संतुलित रखें, तनाव को कम करके नियमित रूप से रक्तचाप की जाँच करें, समस्या हो तो योग्य उपचार करना आवश्यक है, चिकित्सक अनुसार देखभाल करें और औषधि लें। सकारात्मक विचार शैली, हेल्दी हॉबी, पोषक आहार, नशे से मुक्ति, स्वच्छता और रोजाना व्यायाम जैसी आदतें हमें बीमारियों से कोसों दूर रखती है। आज के युग की समस्या की सबसे बड़ी जड़ अर्थात झूठा दिखावा और लोगों से ज्यादा अपेक्षाएं है जो इंसान की सोच को कमजोर करती है, अगर हम ऐसे बेमतलब की बातों से दूर रहेंगे तो हम भावनात्मक रूप से मजबूत बनेंगे, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है। निस्वार्थ परोपकार, समाज सेवा, प्रकृति और जानवरों से प्रेम, देश और समाज के प्रति नैतिक जिम्मेदारियों को निभाने से मानसिक शांति और आंतरिक संतुष्टि मिलती है कि हम इंसान बनकर जी रहे हैं, जो आज के समय में बहुत आवश्यक है, यह तनाव मुक्त जीवन जीने का एक आसान तरीका है।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम

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