रतलाम। अपने मस्तिष्क से सारे विचारों को उखाड़ फेंको और भीतर दृष्टि डालो। वहां प्रभु बैठे हैं। उनके लिए हृदय के सारे द्वार खोल दो और केवल प्रभु को अपने हृदय में धड़कने दो।
उक्त विचार श्रीअरविन्द सोसायटी, सूरत से आए मुख्य वक्ता कैवल्य स्मार्त ने व्यक्त किए। वे श्रीअरविन्द मार्ग स्थित ओरो आश्रम में चल रहे पांच दिवसीय शिविर के अन्तिम दिन श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी ने मिलकर अपने-अपने विशेष तरीके से इस पांच दिवसीय यज्ञ को सफल बनाया है।
इससे पूर्व अपने अनुभव साझा करते हुए वेद मर्मज्ञ डॉ मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा कि पूर्णयोग पर बोलना बड़ा कठिन है मगर कैवल्य भाई ने बड़ी ही सरलता से इसे समझाया है। सम्पूर्ण जीवन योग है। ये बात यहां सीखने को मिली।
सुश्री ऋतम् उपाध्याय ने कहा कि श्रीअरविन्द कठिन नहीं है। हमने ही दरवाज़े बन्द कर रखें है। ऐसे अवसरों का लाभ उठाकर हम माताजी और श्रीअरविन्द के प्रकाश के प्रति खुल सकते हैं।
वरिष्ठ साधक रमेश पाठक, महेश व्यास, बी एल शर्मा, प्रकाश गंगराड़े, सुजानमल रतनपुरा, संध्या पाठक, हासानन्द दासानी, सुधीर व्यास, डॉ गोपीवल्लभ पाटीदार, धनपाल बक्षी, गोपा वासुदेव वोरा, सुधीरचन्द्र आगार, रेखा व्यास, नीतू शर्मा, विशाखा सूभेदार सहित विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने शिविर से जुड़े अनुभव साझा किए। पुष्पा जोशी ने भजन की प्रस्तुति दी। सभी ने मातृकक्ष में प्रणाम किया।
सामूहिक ध्यान हुआ
शिविर के अन्तिम दिन श्रीअरविन्द श्रीविग्रह- दिव्यांश स्थल (समाधि) पर सभी ने सामूहिक ध्यान किया। श्रीमाँ के ध्वज अवतरण के साथ शिविर का समापन हुआ।
(यशपाल तंवर द्वारा)
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