है दीवाली उनकी भी जिसके घर मिट्टी के हैं, है दीवाली उनकी भी जो छोटी सी बस्ती के हैं। है आस उनको भी कि दीवाली उनकी भी मनेगी, क्योंकि वो भी इस गरीब बस्ती के हैं। आँगन लिपते हैं, चौक भी पूरे जाते हैं। लक्ष्मी -गणेश को मन से पूजे जाते हैं। खीर -पूरी न सही गुड़ के गुलगुले बनाये जाते हैं ज्यादा न सही, थोड़े ही खील -बतासे बाजार से मँगाये जाते हैं। छोटी -छोटी फुलझड़ी और पटाखे से ही खुश हो जाते हैं, गरीबों के बच्चे ऐसी दीवाली में ही खुशियाँ मनाते हैं। -सपना परिहार, नागदा (उज्जैन)
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