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दीपोत्सव की बहार (कविता) -ललित शर्मा


दीपोत्सव की बहार में खो जाए
घरों की चहारदीवारी को सजाएं
घरों की साफ सफाई मन से कराएं
आंगन को खूब आलीशन बनाएं

आलीशन प्राकृतिक रौशनी बढ़ाये
हस्तनिर्मित मिट्टी के दीपक लाएं
बनाते जाएं रंगोली छवि सुंदर पाए
प्यारी न्यारी खुशबू घर में बिखराये

चहारदीवारी सुहावनी सुंदर सजाए
रौशनी सा उमंग उल्लास जगाए
उत्सव है दीपोत्सव दीयों को लाएं
आनन्द में जमकर डुबकी लगाएं

तेलबाती डालकर दीपक जलाएं
मिट्टी के दीपक की रौशनी बढ़ाये
परम्पराए निभती रहे सजगता लाएं
आधुनिकता की अंधी दौड़ से बचायें

उत्सव की परंपरा संस्कृति सिखाएं
नवपीढ़ी दीपोत्सव का ज्ञान बढ़ाये
ज्ञान रुपी रौशनी मन मे जगाए
धनलक्ष्मी की अनन्त वर्षा सब पाएं

कोरे दीपक दीपोत्सव पर जगमगाये
परिवार में सुख समृद्धि शांति आये
शांति हरियाली की किरणें सब पाएं
प्रचलित रहे मिट्टी के दीपक जगाएं

रोगदोष पीड़ा हर परिवार भगाएं
दीपोत्सव पर मां यह कृपा बरसाए
मां लक्ष्मी की कृपादृष्टि बढ़ती जाएं

-ललित शर्मा,डिब्रुगढ़ असम


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