मां कुष्मांडा आए।
नव शक्ति है रूप भी अद्भुत,
देखे मन हर्षाए।।
पूजन अर्चन घर-घर होती,
अष्टभुजा है पाई ।
सप्त हस्त में शस्त्र रखे है,
माला एक दिखाई।।
दर्शन जिसने भी है पाया ,
करती सिंह सवारी।
सुख वैभव समृद्धि आयु मिले,
मोक्ष दिया सूखकारी।।
मैया का जयकारा गूंजा,
गूंज उठा जयकारा ।
शुद्ध भाव रख मां के पूजे,
बनता मां का प्यारा।
हलवा पूरी मालपुए का,
मैया भोग लगाओ।
हाथ जोड़ हम विनती करते,
मेरे घर आ जाओ।।
-अलका जैन 'आनंदी', मुंबई
(यह रचना सार छंद में रचित है 16+12 मात्रा)
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