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ब्रम्हचारिणी माता (गीत)


कर नवरात्री की तैयारी,गूंज उठा जयकारा।
चौकी सजाए करे पूजन,रुप है अद्भुत न्यारा।।

अपने भक्तों पर तो माता,दया आप हो करती।
रत रहो शिव की अर्चना में,दुख सारे ही हरती।।
बाए हाथ कमंडल मां के,दाए में है माला।
मिले जिसे आशीष तुम्हारा,वह तो किस्मत वाला।।
ब्रह्म मतलब तपस्या होता,बड़ा आचरण प्यारा।...1

सदा सुखो को ही बरसाती,मनुज सुखो को पाए।
मानव क्या ऋषि मुनि देवो ने,कृपया मां की गाए।।
स्वेत वस्त्र तुम धारों मैया,ऋषि मुनि भी हर्षावे।
शुद्ध-भाव से जो भी ध्याता,रिद्धि-सिद्धि वो पावे।।
कोई नवरात्री में पूजे, उसको पार उतारा।...2

योगी साधक जन के मन में,मां सदा निवास करे।
मानव साधक कष्ट सभी का,चरण रज ध्यान तरे।।
जय ब्रहमचारी मैया की, जगमग है ज्योत जले।
कष्ट सभी के दूर करो तुम,मिल आशीष हम फले।।
हलवा पुरी भोग लगाए, भक्तों को है तारा।।..3

-अलका जैन 'आनंदी', मुंबई

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