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आओ संजा माता (मालवी कविता)


थाने घणा लाड़ लड़ावांगा,
मन री वात वतावांगा,
थे आओ संजा माता,
थाने हिरदा में वसावांगा...।

गोबर भी लावांगा ने,
फुलड़ा भी सजावांगा,
हाथी,घोड़ा वणावांगा,
चाँद,सूरज उगावांगा,
वी गीत मीठा गावांगा,
राजी खुशी थे पीहर आओ,
खूब सेवा भाव दिखावांगा,
थे आओ संजा माता,
थाने हिरदा में वसावांगा...।

थाने घणा लाड़ लड़ावांगा,
मन री वात वतावांगा,
थे आओ संजा माता,
थाने हिरदा में वसावांगा...।

-यशपाल तंँवर,रतलाम (म.प्र.)


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