✍️पुखराज जैन पथिक
वसुधैव कुटुंबकम की जहा बहती प्रेम धारा ,
सबसे न्यारा सबसे प्यारा भारत देश हमारा ।
सुबह प्यारी है जिसकी प्यारी है हर शाम,
जहाँ हर इंसा के मन मे बसे हुए हैं श्री राम ।।
हर मजहब के लोग यहाँ रहते बन भाई भाई ,
एक दूजे के सुख-दुःख में कभी न आंख चुराई ,
आपस की हमजोली मे छिपी हुई यहाँ हर मुस्कान ।
लहराती हरियाली जहाँ बड़ी निराली है शान ।।
ऊंचे-ऊंचे पेड़ घनेरे जिससे छनती धूप,
कलकल करती नदियाँ बहती बड़ा अनोखा रूप,
सावन मे जब पड़े फुहारे कोयल गीत सुनाती ,
दादुर मोर पपिहा बोले प्रकृति सबका मन लुभाती ।।
हर मौसम का यहाँ अपना एक नया वरदान ।
जिनसे सारी खुशियाँ पा जाता है किसान ।।
यही सभ्यता है संस्कृति का हम मान करें ।
संस्कार दिए पुरखों ने उनका ही यशगान करें ।।
मेरा देश महान है यह मेरा हिन्दुस्तान ।
यह मेरा हिन्दुस्तान यह मेरा हिन्दुस्तान
*ग्राम भाटीसुड़ा नागदा जं
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