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अबॉर्शन- एक विकृत.... सोच का


✍️प्रीति शर्मा 'असीम'

समाज में अपनी ,

विकृत मानसिकता को। 

छुपाने के लिए,

अबॉर्शन करवाते हैं ।

 

कभी बेटों के लिए ,

कभी जायज- नाजायज ,

संबंधों के लिए, 

 

मानववादी सोच का ,

अपहरण तक कर आते हैं ।

 

वे लोग..........?

अपनी ऐसी विकृत सोच का

 

अबॉर्शन क्यों.....नहीं करवाते हैं?

 

देश की अर्थव्यवस्था की ,

जो धज्जियां उड़ाते हैं ।

अपने मतलब के लिए ,

षडयंत्र रचाते हैं ।

 

भ्रष्टाचार फैला कर ,

देश को ही खा जाते हैं।

धर्मों के नाम पर,

 लड़ा जात- पात फैलाते हैं।

 

मजबूर बेसहारों पे जुल्म ढाते हैं।       

 झूठ -फरेब से बाज नहीं आते हैं।

 

ऐसी सोच का ,

अबॉर्शन क्यों .......नहीं करवाते हैं?

 

समाज और देश के ,

वे लोग ....….......?

 

जो सभ्यता को ,

लज्जित कर जाते हैं ।

ना समाज का ,

ना देश का भला कर पाते हैं।

 

अपनी विकृत सोच से नकारात्मकता बढ़ाते हैं ।

 

सत्य को हराकर 

झूठ का राग गाते हैं ।

 

ऐसे विकृत....... लोगों का 

हम देश से ................!

अबॉर्शन क्यों नहीं करवाते हैं? 

स्वरचित रचना

 

नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

 


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