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तुम्हारे बिन ये बोझिल देखता  हूँ


✍️हमीद कानपुरी

तुम्हारे बिन  ये बोझिल  देखता  हूँ।

तुम्हारे  साथ  महफ़िल  देखता  हूँ।

 

सनम के साथ मुस्तकबिल जुड़ा है,

सितारे  यार  झिलमिल  देखता  हूँ।

 

शरारत  से   नहीं  देखो  इधर  तुम,

तुम्ही में खुद को शामिल देखता हूँ।

 

बड़ी  तकलीफ़  होती  है  यक़ीनन,

किसीको जबभी बददिल देखताहूँ।

 

अली  शेरे   ख़ुदा  की   याद आती,

कहींकुछजबभी मुश्किल देखताहूँ।

 

*कानपुर


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