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मैं हिंद की बेटी हिंदी 



 

✍️प्रीति शर्मा 'असीम'

भारत के

उज्जवल माथे की।

मैं ओजस्वी ......बिंदी हूँ।

 

मैं हिंद की बेटी .....हिंदी हूँ।

 

संस्कृत, पाली,प्राकृत, अपभ्रंश की,

पीढ़ी -दर -पीढ़ी ....सहेली हूँ।

 

मैं जन-जन के ,मन को छूने की।

एक सुरीली .......सन्धि हूँ।

 

मैं मातृभाषा ........हिंदी हूँ।

 

मैं देवभाषा ,

संस्कृत का आवाहन।

राष्ट्रमान ........हिंदी हूँ।।

मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ।

 

पहचान हूँ हर,

हिन्दोस्तानी की.... मैं।

आन हूँ हर,

हिंदी साहित्य के

अगवानों की........मैं।।

 

मां ,

बोली का मान हूँ...मैं।

भारत की,

अनोखी शान हूँ......मैं।।

 

मुझको लेकर चलने वाले,

हिंदी लेखकों की जान हूँ ....मैं।

 

मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ।

मैं राष्ट्र भाषा .........हिंदी हूँ।

 

विश्व तिरंगा फैलाऊँगी।

मन -मन हिन्दी  ले जाऊँगी।।

मन को तंरगित कर।

मधुर भाषा से।

हिंदी को,

विश्व मानचित्र पर,

सजा कर आऊँगी।।

 

*नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

 


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