✍️राजीव डोगरा 'विमल'
तुम ख्वाहिश हो मेरी
कभी तो मुझे मिला करो।
तुम दुआ हो मेरी
कभी तो कबूल हुआ करो।
तुम मोहब्बत हो मेरी
कभी तो पूरी हुआ करो।
तुम जहान हो मेरा
कभी तो मुझ पर
मर मिटा करो।
तुम धड़कन हो मेरी
कभी तो मेरे
दहकते दिल में धड़का करो।
तुम सांस हो मेरी
कभी तो जीने की
ख्वाहिश से
मुझ में आया करो।
तुम इश्क हो मेरा
कभी तो तुम
मोहब्बत के बहाने
मेरे शहर में आया करो।
तुम चाहत हो मेरी
कभी तो मेरे
अनाहत द्वार को छुआ करो।
*कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
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