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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जन्म जयन्ती पर वेबिनार आयोजित




भक्ति साहित्य सांस्कृतिक शोध संस्थान , तुलसी भवन, उस्मानिया यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तर पर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की जयन्ती मनाई गई। इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ. एच.के.वंदना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात् उन्होंने तुलसी भवन के प्रोफेसर प्रदीप कुमार को बीज व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी नाट्य साहित्य के प्रणेता हैं। उन्होंने अपने नाटकों के माध्यम से न केवल जनता में जागरूकता बढ़ाई अपितु रुढ़िवादिता को समाज से दूर भगाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके लगभग सभी नाटक देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हैं। उदाहरण के लिए- अंधेर नगरी चौपट राजा, राजा हरिश्चन्द्र और भारत दुर्दशा आदि।  उन्होंने न केवल नाटक लिखे अपितु समय-समय पर उनका मंचन भी किया। उनके नाटकों में कोई शुल्क नहीं लिया जाता था इसलिए आम आदमी भी बहुतायत में नाटक देखने आते थे। वेबिनार के दौरान इन नाटकों की मनोरम झलकियां भी दिखाई गईं।

 इस वेबिनार संगोष्ठी में कई राज्यों से विशेषज्ञों ने ऑनलाइन अपनी भागीदारी निभाई। गुजरात से नाटक विशेषज्ञ प्रोफेसर महेश चंपकलाल, महाराष्ट्र से डाॅ.वैशाली केशव बोदके, आंध्र प्रदेश से गट्टू रामकृष्ण, तेलंगाना से डाॅ.संतोष कुमार एवं हैदराबाद से डाॅ.संगीता कोटिया, डॉ. सरिता जाधव, उस्मानिया विश्वविद्यालय से डाॅ.बिरजू वरयाम, प्रोफेसर एस धारेश्वरी आदि ने इसमें अपनी सहभागिता निभाई और कार्यक्रम के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्व भाषा अकादमी की तेलंगाना प्रदेशाध्यक्ष सरिता सुराणा ने वेबिनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह हैं। उन्होंने ही सर्वप्रथम हिन्दी साहित्य में खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग प्रारम्भ किया। उससे पहले ब्रजभाषा में काव्य रचना की जाती थी। उन्होंने उस समय के परतंत्र भारत की दुर्दशा का बखान करते हुए लिखा, 'आवहु सब मिल रोवहु भाई, भारत दुर्दशा न देखि जाई'। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि उनके मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी।

इस वेबिनार में सोशल वेलफेयर गुरुकुल विद्यालय से अप्पाराव, गांधारी उमा, नाबार्ड बैंक के पूर्व प्रबंधक अब्दुल जी, अवंतिका रेड्डी आदि ने भाग लेकर इसे सफल बनाया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ.एच.के.वंदना अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, विवेकानंद डिग्री कॉलेज ने बहुत ही सफलतापूर्वक किया। अंत में प्रो.प्रदीप कुमार ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का यथोचित समाधान दिया और संगोष्ठी को सफल बनाने हेतु सभी सहभागियों का आभार व्यक्त किया।

 


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