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अहिंसा के पुजारी, युगपुरुष और सत्यवादी थे बापू


✍️गोपाल कृष्ण पटेल

दे दी हमें आजादी, बिना खड्‍ग बिना ढाल।

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

 

2 अक्टूबर के दिन का भारत के इतिहास में एक खास महत्व है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह 2 अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा हासिल है। यह दिन देश की दो महान विभूतियों के जन्मदिन के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए और उनके कार्यों और विचारों ने आजाद भारत को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ। उनकी सादगी और विनम्रता के लोग कायल थे। 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान दिया गया 'जय जवान जय किसान का उनका नारा आज के परिप्रेक्ष्य में भी सटीक और सार्थक है। 

हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया। ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। महात्मा गांधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था। इस महापुरुष का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। आपका पूरा नाम मोहनदास था। आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी। मोहनदास के व्यक्तित्व पर माता के चरित्र की छाप स्पष्ट दिखाई दी।

आजादी के महानायक और एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए कठोर संघर्ष किए और अपना पूरा जीवन राष्ट्र के हित के लिए समर्पित कर दिया, उनके त्याग, समर्पण और उनकी कुर्बानी की आज भी मिसाल दी जाती है। महात्मा गांधी न सिर्फ एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रनेता के रुप में जाने जाते हैं, बल्कि वे एक महान लेखक और प्रभावशाली छवि वाले व्यक्तित्व थे। सत्य और अहिंसा महात्मा गांधी के दो शक्तिशाली और सशक्त हथियार थे, जिन्होंने इसे अपने जीवन के मुश्किल से मुश्किल परिस्थितयों में भी इन्हें अपनाया, और शांति के मार्ग पर चलकर बड़े-बड़े आंदोलन लड़े अंग्रेजी हुकूमत के नाक पर दम कर दिया।

इसके साथ ही वे हमेशा दूसरे लोगों को भी सत्य और अहिंसा के मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। महात्मा गांधी सदैव सादा जीवन जीने और उच्च विचार रखने पर जोर देते थे, उन्होनें अपनी पूरा जीवन सदाचार में व्यतीत किया। इसके साथ ही वे हमेशा ही किसी भी फॉर्मुले को खुद पर अपनाते थे, और फिर खुद की ही गलतियों से सीखकर उन्हें सुधारने का प्रयास करते थे। वहीं गांधी जी द्धारा कहा गया यह अतिलोकप्रिय कथन तो आपने सुना ही होगा कि"बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो"। जिसका मतलब  है कि वे एक बेहद आर्दशवादी पुरुष थे, अर्थात उनके उसूल और इन्हीं आदर्शों की वजह से उन्हें "राष्ट्रपिता" की उपाधि से नवाजा गया।

सच्चाई के मार्ग पर चलकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने उच्च विचारों माध्यम से न सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी के समय लोगों के अंदर आजादी पाने की अलख जगाई थी, और देश-प्रेम की भावना विकसित की थी, बल्कि आज भी उनके विचार और उनके नारे उतने ही प्रभावशाली हैं कि, एक नकारा और नाकामयाब पुरुष के अंदर भी सच्चाई के मार्ग पर चलकर जग जीतने का जुनून भर सकते हैं। गांधीजी ने प्रेम और भाईचारे की भावना से भारत की जनता के हृदय पर राज किया। वे देश में रामराज्य स्थापित करना चाहते थे। भारत की आजादी के पश्चात देश दो टुकड़ों में विभाजित हुआ "भारत- पाकिस्तान।" इस बात का उन्हें बहुत दुख पहुंचा। 

हमारा दुर्भाग्य था कि इस नेता का मार्गदर्शन हम स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अधिक समय तक नहीं पा सके और नाथूराम गोड़से नामक व्यक्ति की गोली से 30 जनवरी 1948 को गांधीजी की जीवनलीला समाप्त हो गई। एक भविष्यदृष्टा, युगदृष्टा हमारे बीच से चला गया। आज गांधीजी हमारे बीच नहीं हैं, किंतु उनके आदर्श सिद्धांत हमें सदैव याद रहेंगे। उनका नाम अमर रहेगा।

ऐनक,धोती और लाठी है जिसकी पहचान

वो है हमारे बापू महात्मा गाँधी महान

 

*जांजगीर छत्तीसगढ़

 


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