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तलाक एक पुनर्जन्म



✍️अनुराधा शुक्ला

आज मुझे उषा की बहुत याद आ रही है आए भी क्यों न फ्रेंडशिप डे जो है वही तो ऐक मेरी पक्की सहेली थी। जब से उसकी शादी हुई ना जाने क्यों उसका फोन बंद आने लगा पापा भी उसके रिटायर होकर यहां से चले गए। अब आज तो मुझे उससे बात करना ही है चाहे जो हो जाए फेसबुक में तो होगी फेसबुक में ही सर्च करती हूं, मिलेगी ही अरे फेसबुक में तो है ही नहीं, अब क्या किया जाए, आज तो बात करना ही है उससे बहुत दिन हो गए क्या करूं? किससे नंबर लू? अरे हां श्याम भैया के पास उसके पति का नंबर होगा एक ही  सुना था एक ही दफ्तर पर काम करते हैं।

हेलो श्याम भैया मैं सीमा हां सीमा बोलो श्याम भैया आपके पास उषा का नंबर है क्या उषा का तो नहीं है हां उसके पति का नंबर है, थोड़ा बदतमीज और अड़ियल है देखना कहीं कुछ अपशब्द ना बोल दे ठीक है भैया मैं संभाल लूंगी। हूं तो साली आप नंबर दे दीजिए।

हेलो रवि जी मैं सीमा बोल रही हूं, उषा की सहेली क्या आप मुझे उसा से बात करा सकते हैं।

जी अभी करवाता हूं

मुझे फोन पर ऐसी आवाज सुनाई दी जैसे किसी ने उषा का नाम ना पुकारा हो उसे गाली देकर आवाज दिया हो ,हो सकता है यह मेरा भ्रम हो। लेकिन आज का एंड्रॉयड फोन में ऐसी आवाज क्लियर रहती हैं जैसे कोई दूसरे रूम में ही बैठकर कुछ बोल रहा हो ऊंची आवाज पर वह भी सुनाई दे जाता है।

हेलो हां सीमा बोलो उषा की आवाज सुन मुझे बहुत अच्छा लगा कैसी हो उषा मैं तो बहुत खुश हूं बहुत दिन हो गए तुमसे बात किए हुए आज मन किया तुमसे बात करूं श्याम भैया से मैंने यह नंबर लिया और आज मैं तुमसे मिलने भी आ रही हूं। अपना एड्रेस मुझे बताओ मैं आ रही हूं तुमसे मिलने आज हम वहीं बैठ कर बात करेंगे। घूमेंगे बाहर जाएंगे कुछ खाएंगे और बचपन की यादें ताजा करेंगे। ठीक है मैं तुम्हारा एड्रेस लिख नहीं रही हूं और आ रही हूं।

जब मैं उषा के घर पहुंची वहां की हालत बयां कर पाना मेरे बस पर नहीं है। उषा को रवि ने बहुत मारा था बेल्ट से डंडे से उसके सामने के बाल काट दिए थे, वह अर्थ मूर्छित हालत में पड़ी थी उसके सारे कपड़े यहां तक की जो कपड़े उसने पहने हुए थे उसे भी रवि ने भिगो दिया था। इन सब का कारण सिर्फ इतना था कि उषा बाहर ना जा सके किसी से मिल ना सके, घूम ना सकें,

मैंने उससे पूछा कि तुम अपने माता पिता को नहीं बताती रवि तुम्हारे साथ जानवरों जैसी हरकत करता है तुम्हें इंसान नहीं समझता तुम्हें मारता है पीटता है गाली गलौज करता है, अपने माता-पिता को बताओ वह कुछ करेंगे तुम्हारे लिए, उषा हल्की सी मुस्कान और दर्द भरी आह के साथ कहती है मैंने माता पिता जी को बताया लेकिन पिताजी ने कहा इतना दहेज देकर हमने सरकारी नौकरी वाला लड़का तुम्हारे लिए ढूंढा है और तुम उसे ठुकराना चाहती हो कुछ दिन सह लोगी तो जिंदगी बन जाएगी।

माताजी ने कहा समाज परिवार मोहल्ले वाले कितना कुछ ना कहेंगे कि हम लोगों ने अपनी परवरिश में कमी रखी इसीलिए आज लड़की घर आकर बैठ गई, कितने ताने सुनने पड़ेगी तुम्हारी वजह से, जो है जैसा है वहीं रहो।

मैंने उससे पूछा कि तुम क्या चाहती हो?

उसका जवाब था मैं जीना चाहती हूं, घुट घुट के मरना नहीं।

कोई मेरा साथ नहीं दे रहा मैं कहां जाऊं कहां रहूं किससे कहूं अपनी तकलीफ आज 2 साल हो गए शादी को रोज का ही है घाव भरते नहीं है और कुछ नए घाव भर कर आ जाते हैं बस जी रही हूं मौत के इंतजार में।

मौत के इंतजार में जी रही हो क्यों क्या तुम अनपढ़ हो बताओ ग्रेजुएट हो कहीं भी तुम्हें नौकरी मिल जाएगी किसी भी हॉस्टल में रहकर तुम अच्छी तैयारी कर सकती हूं तुम जीवन को एक नया रूप दे सकती हो तुम चाहो तो क्या नहीं कर सकती अपनी अंतरात्मा से पूछो वह क्या चाहता है इस कांटे भरे जंगलों से निकलना चाहता है या नहीं पूछो अपनी अंतरात्मा से क्या जवाब है उसका क्यों ऐसे समाज परिवार के बारे में सोच रही जो तुम्हें घुट घुट कर मरने के लिए छोड़ दिया है।

उठो जागो और अपने लिए जियो अपनी खुशियों के लिए जियो जीवन एक बार मिला है उसे इस प्रकार जिओ जिससे तुम्हें दोबारा कोई कमी महसूस ना हो। चलो आज ही चलो मेरे साथ मैं तुम्हारा साथ दूंगी हर नामुमकिन मुमकिन लगने लगेगा।

तुम अनपढ़ होती फिर भी इस दुनिया में सब कुछ मुमकिन है सिलाई,बुनाई,कढ़ाई,कुकिंग,ड्राइविंग आज क्या नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकती सब कुछ कर सकती हैं बस अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनो और उसके नक्शे कदम पर चलो।

मैंने उसे समझाया और हम दोनों थाना गए हमने रवि के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज की मांग का चार्ज लगाया पुलिस ने छानबीन कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

तीसरे दिन हमने कोर्ट में तलाक का कागज भी लगा दिया और  6 महीने बाद उषा का तलाक भी हो गया। उषा ने एक प्राइवेट स्कूल से शुरुआत की उसे वहां महीने के दस हजार मिलते थे जिससे उसने कोचिंग ज्वाइन की हॉस्टल का खर्च टिफिन का खर्च सब मैनेज किया और आज 2 साल बाद उषा एमपीपीएससी निकालकर डीएसपी रैंक ले चुकी हैं। जो रिश्तेदार उससे बात नहीं करते थे उसकी बदनामी करते थे आज वह इंतजार करते हैं कि ऊसा कब उनके यहां आए। आज वही माता पिता उसे गर्व से कहते हैं यह हमारी बेटी नहीं बेटा है। परिस्थितियों के साथ लोगों की सोच भी बदल जाती है। आज फ्रेंडशिप डे है और उषा मुझसे मिलने आई हैं, लेकिन जब भी वह मुझसे मिलते हैं एक ही बात कहती हैं तलाक एक पुनर्जन्म है।

 

संदेश::: परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो, हालात चाहे जो भी हो आप किस उम्र में है, आप कहां पर हैं यह आपके पैरों की बेड़ियां नहीं होनी चाहिए। जब भी आप निराश हो दुखी हो तकलीफ में हो तो बस अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनिए। आपको आपके जीवन के सही फैसले सिर्फ आपकी अंतरात्मा दे सकती हैं।

 

*बिजुरी,अनूपपुर मध्य प्रदेश

 


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