Subscribe Us

शहर अब पुकारता नहीं



✍️सविता दास सवि

 

बड़ा ख़ूबसूरत 

हुआ करता था 

ये शहर

क्योंकि  भीड़ और

चहलपहल 

इसे निखारती थी

अब सन्नाटा उग गया है

चारो ओर...

 

जहां खाली 

जगहें बची हैं

वहाँ धूप में

कुछ नंगे पाँवों  के

निशान चमक उठे

 

ये निशान अपने

गांव की ओर

चल दिए हैं

 

इन्हें अब इस 

ख़ूबसूरत शहर में

अपनी आंतों की 

चींखें परेशान करने

लगी है

 

कुछ गीली मिट्टी से बने

अरमान लाए थे

सपनों की पोटली में

 

शहर में तेज़ाब 

बरसने लगा और

मिट्टी पसरने लगी

सच्चाई की सतह पर

 

वो देखो एक माँ

अटेची में बच्चे को सुलाए

चल पड़ी है अपने 

दहलीज़ की ओर

 

शहर पीछे से अब

पुकारता भी नही.....

 

*तेज़पुर,जिला: शोणितपुर

 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ