*आकांक्षा राय
उस किसान से पुछाे
जिसके लिए माटी
उसकी माता है|
वाे किसान ही तो है
जाे हमारे लिए जीवन दाता है|
जाे दिन रात एक कर के
फसल उगाता है
वो किसान ही तो है
जाे जीवन दाता है
कर्ज मे दब कर भी
अपने परिवार का बाेझ उठाता है
वाे किसान ही ताे है
जिसके लिए माटी उसकी माता है|
खुद को धुप मे सेक कर
समाज तक अनाज पहुचाता है
वो किसान ही तो है
जिसके लिए माटी
उसकी माता है|
वाे समाज का पेट भर
लाखों जिंदगी बचाता है
वाे किसान ही तो है
उसे अपने अनाज की
कीमत तक नहीं मिल पाता है??
पर फिर भी अपने जीवन चलाता है|
वाे किसान ही तो है
जिसके लिए माटी उसकी माता है|
सीकन ना हाेती है
चहरे पर,और देश का बाेझ उठाता है|
वाे किसान ही तो है
जिसके लिए माटी उसकी माता है|
*सुहवल,गाजीपुर
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