*श्लेष चन्द्राकर
माता को करते सभी, हर संकट में याद।
उनके पुण्य प्रताप से, जीवन है आबाद।।
माँ ने दी है जिंदगी, माँ ने दी पहचान।
करें सदा हर मंच पे, उनका ही गुणगान।।
माँ का है निर्मल हृदय, और नेक व्यवहार।
वह तो बच्चों के लिए, कुदरत का उपहार।।
बच्चों पर देती सदा, खुद से ज्यादा ध्यान।
माँ अपनी तकलीफ को, करती नहीं बयान।।
जब पड़ते कमजोर हम, देती माता शक्ति।
राम कृष्ण हनुमान सा, कर माता की भक्ति।।
अपने बच्चों के लिए, होती जीवन रेख।
माँ की महिमा का सभी, ग्रंथों में उल्लेख।।
बँटवारा हो खेत का, बँट जाए घर-द्वार।
किन्तु बाँट सकता नहीं, कोई माँ का प्यार।।
*महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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