✍️विनय मोहन 'खारवन'
उसकी मौत बीमारी से हो गयी।काफी दिन से बीमारी से परेशान था। किसी ने प्रशासन को शिकायत कर दी कि मौत नॉर्मल नही बल्कि कोरोना से हुई है।पूरा प्रशासन हरकत में आ गया।एम्बुलेंस डेड बॉडी को हॉस्पिटल ले गयी। घर से किसी को भी साथ जाने से
रोक दिया गया।उस व्यक्ति की आत्मा शरीर से बाहर हर बन्धन से मुक्त थी।पर कहते हैं कि मरने वाली की आत्मा का मोह तेरह दिन तक रहता है।उसकी पत्नी, बच्चे, पड़ोसी उसे दूर से जाते देखते रहे। वो एक पल में कैसे अछूत हो गया था।अगले दिन उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।सारा परिवार , पड़ोस, जानकार कोरोना से मौत के डर से सदमे में आ गए थे।कल तक उसके गुण गाने वाले सगों की मानसिकता पल में ही बदल गयी थी।घर का पालतू कुत्ता टॉमी एम्बुलेंस के पीछे पीछे भागते हुए हॉस्पिटल जा पहुंचा। बॉडी सीधी शमशान ले जाई गयी। टॉमी वहां भी पहुंच गया।संस्कार में परिवार के नाम पर केवल टॉमी ही था।जो एक कोने में चुपचाप खड़ा था।उस व्यक्ति की आत्मा हैरान थी,कैसे एक पल में सब पराये हो गए, जिनके लिए पूरी जिंदगी अपनी हर इच्छा दबा कर बस मेहनत की।उनकी खुशी के लिए, कितने दुख सहे।आज वो ही परिवार जो उसकी जान था।उसकी अंतिम विदाई पर भी साथ न था।उनके टुकड़ों पर पलने वाले टॉमी ने अपनी कुत्तानियत नही छोड़ी। पर इंसानियत इस बेरहम कोरोना की कोरोनियत के आगे घुटने टेक चुकी थी।
*जगाधरी, हरियाणा
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