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आपदा और अवसर



✍️अर्चना त्यागी

कोरोना महामारी ने जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। जीवन जीने के साधनों को भी ध्वस्त कर दिया है। कितने लोगों का जीवन असमय छीन लिया है। जो जीवित हैं उनके लिए जीवन दूभर हो गया है। कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। इस वर्ष जो लोग रोजगार तलाश करने वाले थे वो बिना प्रयास ही बेरोजगारों में शामिल हो गए हैं। आने वाले समय में भी स्थिति बदलने की संभावना कम ही नज़र आती है। यही स्थिति दूसरे देशों में भी है। कुछ देशों ने तो विदेशी नागरिकों को रोजगार देने से ही मना कर दिया है। उनकी देखा देखी बाकी देश भी ऐसा कर सकते हैं। उस समय भारत की क्या स्थिति होगी ? अप्रवासी भारतीयों के स्वदेश लौटने पर क्या स्थिति होने वाली है, अंदाजा लगाना मुश्किल है। अपने देश में देशवासियों के लिए ही रोजगार उपलब्ध नहीं है तो प्रवासी भारतीयों को कहां से रोजगार दिया जाएगा ? बेहतर होगा कि सरकार निजी उद्योग के मालिकों से बात करे ताकि गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा सके। साथ ही शहरों में भी अतिरिक्त अवसर उत्पन्न किए जाएं। जिससे इस आपदा को अवसर में बदला जा सके और कोरोना महामारी देश की अर्थवयवस्था को चौपट न कर पाए।

*जोधपुर ( राज.)

 


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