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तो दुनिया कितनी अच्छी होती



*सुषमा दीक्षित शुक्ला


एक जंगल में एक भोलू नाम का ऊंट रहता था ।वह सभी की मदद करता था ,अगर कोई उसको अनदेखा भी करता तो भी वह परवाह नहीं  करता ।एक दफा की बात है , भोलू के पैर में कांटा चुभ गया , वह दर्द से कराह उठा। इतनी ज्यादा तेज दर्द हो रही थी ,खून निकल रहा था कि वह अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहा था ।उसने अचानक उधर से  गुजरते हुए गोलू सियार को देखा तो बोला ,कि गोलू भैया मेरे पैर में कांटा चुभ गया है ,कृपया आप मेरी मदद कर दो ,इसे किसी प्रकार निकाल दो ताकि मैं चल सकूं, वरना तो मैं यहीं पड़ा पड़ा भूखा प्यासा मर जाऊंगा , खून बहते बहते  मेरी तो जान ही निकल जाएगी ।गोलू सियार इतना धोखेबाज ,दुष्ट  और निर्दयी था, उसमें भोलू से कहा नहीं मेरे पास टाइम नहीं है, यह कहकर वह चलते बना ।तब भोलू को बहुत दुख हुआ ,भोलू ने सोचा कि मैं तो सबकी आये दिन मदद करता रहता हूं ,लेकिन आज मेरे ऊपर मुसीबत पड़ी तो मेरी मदद करने कोई नहीं आया। तभी उधर से गुजरते हुए एक चीकू नाम का खरगोश दिखाई दिया  ,खरगोश  दयालू और बुद्धिमान था ।भोलू ने जब मदद की गुहार लगाई तो खरगोश तुरंत तैयार हो गया, और अपने महीन दाँतो से कांटे को पकड़ कर खींच लिया, और भोलू को दर्दमुक्त कर दिया ।तब भोलू ने खरगोश को बहुत धन्यवाद दिया और कहा भैया मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा ।फिर कुछ दिनों बाद जंगल में अचानक आग लग गई,  जंगल जलना शुरू हो गया ।जंगल के चारों तरफ से नदी घिरी हुई थी ।सारे पशु जंगल से भाग रहे थे लेकिन जब नदी पड़ गई तो जिनको तैरना नहीं आता था वह दूसरे जंगल में कैसे जाते  तो वहां पर भोलू उनकी मदद के लिए पहुंच गया, और अपनी पीठ पर लादकर सभी पशुओं को एक-एक कर नदी पार कर दूसरे जंगल पहुंचा दिया ।तभी दूर खड़ा  गोलू शियार चुपचाप पश्चाताप से नजरें झुकाए  हुए था ,सोचा कि अब वह किस मुंह से  भोलू ऊँट से मदद मांगे , क्योंकि जब मुसीबत के वक्त भोलू ऊँट ने मदद मांगी तो गोलू ने साफ इनकार कर दिया था ।तो वह क्या ऐसे में उसकी मदद करेगा और यह सोचकर गोलू मृत्यु के भय से कांप रहा था ,कि सभी लोग तो पार चले जाएंगे और मैं जंगल की आग में जलकर मर जाऊंगा या पानी में भागा तो डूब जाऊंगा ।वह बहुत दुःखी हो गया था ।तभी भोलू की नजर  गोलू पर पड़ी । भोलू तुरन्त गोलू के पास पहुँचा और बोला ,अरे गोलू भाई मेरी पीठ पर जल्दी से बैठ जाओ और मैं तुमको जंगल से  नदी पार करा दूँ ,तब गोलू  शर्मिंदा होकर कहने लगा कि आप कितने अच्छे हो और मैं कितना बुरा ।मैंने आपकी मदद नहीं की थी जब आप मुसीबत में थे ,और मेरी मुसीबत देखकर आप मदद को तैयार हो गए ,मुझे माफ कर दिया ,और अपने दिल में बदले की कोई भावना नहीं रखी ,कितने अच्छे हैं आप ,।तब भोलू कहने लगा  कि कोई बात नहीं भैया हम पड़ोसी हैं हम एक ही जंगल में रहते हैं। इस तरह मुसीबत के वक्त  हमारा बदला लेने का समय नहीं है , हमारा समय एक दूसरे का साथ देने का है ।संकोच त्याग कर जल्दी से मेरी पीठ में बैठ जाओ ,आग इधर बढ़ती चली आ रही है। सारे पशुओं को मैं नदी पार कराकर दूसरे जंगल मे सुरक्षित  पँहुचा चुका हूं , दुखी मत हो मेरे भाई ।हर प्राणी का धर्म है कि मुसीबत में  एक दूसरे की मदद करे ।तब गोलू सोचने लगा कि काश हर प्राणी भोलू ऊंट की तरह  होता ,तो दुनिया कितनी  अच्छी होती ... ।


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