'सूत्रधार' साहित्यिक मंच द्वारा रविवार, दिनांक 31 मई को एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। आज जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 'सूत्रधार' संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने बताया कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए चल रहे लाॅकडाउन की वजह से कवि और कवयित्रियां एक-दूसरे से मिल नहीं पा रहे थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में बंद थे। ऐसे में उनके पास एक ही तरीका था आपस में बातचीत करने का और वो था ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की जाए। इस संस्था के गठन का उद्देश्य भी यही है कि इसके माध्यम से नवोदित और स्थापित रचनाकारों को एक मंच पर लाकर उन्हें एक सूत्र में बांधा जाए। आज की युवा पीढ़ी जोश और जुनून से भरी हुई है, आवश्यकता है तो उनके रचनात्मक कार्यों को सकारात्मक दिशा देने की, जिससे वे अपनी प्रतिभा को और अधिक निखार सकें।
इस काव्य गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया। अध्यक्ष सरिता सुराणा ने सभी रचनाकारों का स्वागत और अभिनन्दन किया। श्रीमती ज्योति नारायण ने अपने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। आदरणीय सुहास जी भटनागर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और श्री सुरेश जी चौधरी इस काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे। क्योंकि गोष्ठी ऑनलाइन थी तो अतिथियों का स्वागत भी पुष्पगुच्छ के द्वारा ऑनलाइन ही किया गया। तत्पश्चात् गोष्ठी प्रारंभ करते हुए मंजुला दूसी ने अपनी रचना 'मैं काफी हूं' प्रस्तुत की। आर्या झा ने 'सम्पूर्ण हूं मैं', डॉ. सुमन लता जी ने 'अनुभूति कहां से ढूंढ लाऊं', शिल्पी भटनागर ने 'पल एक पल में थम से गए हैं' का पाठ करके समां बांध दिया। युवा कवि हरीश सिंगला ने 'मैं ज़िन्दगी को आज खोने चला गया' की शानदार प्रस्तुति दी। मंच के सबसे छोटे युवा कवि रमाकांत श्रीवास ने अपनी रचना 'गर बन जाऊं मैं कृष्ण, राधा बन तुम आओगी ना' का वाचन किया।
'हुनर हाऊस' की संचालक द्वय श्रीया धपोला और रितिका राय ने समसामयिक विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। मासिक धर्म पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीया ने कहा- 'उम्र तो भैया की भी बढ़ी है, फिर क्यों दुनिया उसे अलग नजर से देखने लगी है'। रितिका ने कोरोना वारियर्स को अपनी रचना समर्पित की। वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती ज्योति नारायण ने सदा की भांति प्रेम रस से सराबोर गीत, 'एक किरण धरती पर उतरी' का सस्वर पाठ करके श्रोताओं की तालियां बटोरी। शहर के जाने-माने वरिष्ठ कवि प्रदीप जी भट्ट ने, 'मुश्किलें आती रहेंगी, जब तक जीवन है यह' रचना अपने अंदाज में प्रस्तुत की। सरिता सुराणा ने मजदूरों की समस्या पर अपनी समसामयिक रचना 'भारत भाग्य विधाता' का वाचन किया। वरिष्ठ कवि दर्शन सिंह जी ने भी अपनी कविता का पाठ किया। मुख्य अतिथि सुरेश जी चौधरी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि उन्होंने ऑनलाइन काव्य गोष्ठियां तो बहुत देखी लेकिन आज़ के जैसी नहीं देखी। इस गोष्ठी में पारिवारिक माहौल दिखाई दिया, जबकि अन्य में सिर्फ फार्मैलिटीज ही होती हैं। उन्होंने सभी को लगातार साहित्य सेवा करते रहने के लिए अपना आशीर्वाद दिया। अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए सुहास जी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में रचनाएं प्रस्तुत की। जिनमें 'आखिर मैंने उस मंजिल को हासिल कर ही लिया' तथा कई फरमाइशी रचनाओं का पाठ किया।
कार्यक्रम के अंत में सभी से फीडबैक देने के लिए कहा गया। श्रीमती ज्योति नारायण ने सभी रचनाकारों की रचनाओं पर अपने विचार रखे। सभी ने इस ऑनलाइन काव्य गोष्ठी की भरपूर सराहना की। अध्यक्ष सरिता सुराणा ने अपनी तरफ से प्रवीण प्रणव का विशेष आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग के बिना यह गोष्ठी सफल नहीं हो पाती। उन्होंने ही अपने मीटिंग रूम से जूम ऐप के द्वारा इस कार्यक्रम की शुरूआत की। साथ ही रमाकांत श्रीवास ने कई साहित्यकारों को जोड़ने में अपना सहयोग प्रदान किया, उसके प्रति और समस्त सहभागियों के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त किया। सभी सहभागियों ने इस ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के सफल संचालन हेतु मंच की संस्थापिका सरिता सुराणा का हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की आशा जताई। अंत में रमाकांत श्रीवास के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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