Subscribe Us

अग्नि परीक्षा








*डॉ.विभाषा मिश्र

हर युग में हर समाज में
आख़िर क्यों देनी पड़ती है
कुछ अबलाओं को अग्नि परीक्षा

हर जगह हर माहौल में
वही एक है जो
सामंजस्य बिठाकर चलती हैं

उसे भी पूरा हक़ है
खुलकर जीने का
खुली हवा में सांस लेने का

वह कोई बेजान वस्तु तो नहीं
जिसे जैसा चाहा उपयोग
करके अपने आप से
दूर हटा दिया

वो तो कोमल हृदय की
गुड़िया है उसे जैसा रखो
वह ख़ुशी से रह लेगी

बस उसका तिरस्कार न करना
हर जगह अपमान न करना
फिर देखो,
समय आने पर वह भी
तुम्हें माँ,बहन,सखी,पत्नी
सभी रूपों में नज़र आएगी

क़द्र कर लो उस इन्सान की
जो जननी है पूरे संसार की
कितनी अग्नि की ज्वालाओं
में उसको हर बार,हर जगह
परीक्षा से गुज़रना होगा

अब बहुत हुआ उसके भीतर भी
एक नारीत्व अभी तक जीवित है
जो कभी चंडी तो कभी काली
तो कभी दुर्गा भी बन सकती है।
* रायपुर(छत्तीसगढ़)

 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 







 




 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ