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वृक्ष की पीड़ा



 

*भावना गौड़

 

मेरा क्या कसूर

हे प्राणी अपने स्वार्थ में

मुझे ही काट गए सदा तेरी सेवा में

अपना सर्वस्व प्रदान किए ना किंचित भी

दया नहीं जीवन की मेरी तेरा क्या बिगाड़ा मैंने.

 

मेरी छांव में तुम

पलकर बड़े हुए खेले कूदे

थके हारे जब आते थे तब अपने

पंख(पत्ते) फैलाकर तेरी थकान मिटाएं

बता मेरा क्या कसूर,मेरे जीवन का क्यू बलिदान किये.

 

तेरे आँगन की 

रौनक बनकर सदा तेरा ख्याल

शीतल छाया,हवा पानी सब तेरे लिए

बता मैंने अपने लिए जीवन में क्या सजोया 

तुझ स्वार्थ प्राणी ने ना जाने मेरे प्राणों की बलि दिए.

 

 जीवन के अंतिम पल 

में भी तेरा साथ देता कुल्हाड़ी से

काटकर अपने जीवन की आहुति देते सब

तेरे जाते जाते भी मैं तेरा साथ देता है फिर ना जाने

क्यू...?? बता मेरा क्या कसूर था तूने मुझे काट दिया.

  

*भावना गौड़,ग्रेटर नोएडा(उत्तर प्रदेश)

 


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