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वक़्त की लय गगन सी होती है



*बलजीत सिंह बेनाम


वक़्त की लय गगन सी होती है
सबको इससे चुभन सी होती है


साथ जिसके चला हूँ बिन उसके
दो क़दम पर थकन सी होती है


चाँदनी को छुआ नहीं है मगर
ये तेरे बाँकपन सी होती है


तय सफ़र ज़िंदगी का हो जाए
नींद इतनी गहन सी होती है


शान की क्या गरज़ ग़रीबों को
कोठियों में घुटन सी होती है


*बलजीत सिंह बेनाम, हाँसी


 


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