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शराब से किसी की ऐसी यारी नही होती



* प्रेम पथिक



दुनिया अगर इतनी  दुखियारी नही होती
शराब से किसी की ऐसी यारी नही होती

ये जो भीड़ दिखरही है तुमको दुकानों पर
खुदकुशी की इतनी बड़ी तैयारी नही होती

रुपये दे कर लाइन में लगा दिया है उसको
साहब से धूप में इतनी मगजमारी नही होती

दूसरों की बजाय अपने गिरेबाँ में झांकिये
अच्छा रहता  घोषणा सरकारी नही होती

बेमौत मर रहे है अस्पतालों में बेचारे लोग
प्रशासन की कुछ भी जिम्मेदारी नही होती

दुरूपयोग किस कदर आवाम के धन का
नेताओं की इसमें  हिस्सेदारी नही होती ?

कंधे पे लेकर बच्चे को पैदल निकल पड़ा
भूख से बड़ी कोई भी लाचारी नही होती

समय रहते उठा लिए जाते कदम 'पथिक'
सबकी जिंदगी में इतनी दुश्वारी नही होती

* प्रेम पथिक , उज्जैन 


 


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