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ऑनलाइन टेपांजलि में डा शिव शर्मा जी का किया स्मरण 



उज्जैन | आज हम आदरणीय शिव शर्मा जी का पुण्य स्मरण कर रहे हैं | उनका व्यक्तिव विशेष था तथा वर्तमान में जब चारों और महामारी का माहौल है, शिव जी ऐसे व्यक्तित्व थे कि आज के समय में उदासी उनमें रह नहीं सकती थी | ऐसे में उनका स्मरण हो जाता है कि वे हमेशा प्रसन्नता बनाए रखते थे | आजीवन वे मानव की सेवा में लगे रहे | 
ये विचार अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन द्वारा टेपा सम्मेलन के संस्थापक अध्यक्ष डा [स्व॰] शिव शर्मा स्मरण प्रसंग ‘ऑनलाइन टेपांजलि ’ में पूर्व कुलपति और मनीषी डा मोहन गुप्त ने व्यक्त किए | वरिष्ठ साहित्यकार श्री बी. एल. आच्छा [ चेन्नई ] ने शिव जी को याद करते हुए कहा कि भले ही कुछ भी हो जाये वो अपनी बात कहकर ही रहते थे और मालवा और देश को टेपा सम्मेलन जैसा आयोजन उनकी देन थी |



आचार्य प्रो शैलेंद्र पाराशर ने कहा कि माधव कालेज के चप्पे चप्पे में शिव जी की गूंज सुनाई देती है और उनके प्राचार्यकाल में माधव कालेज का शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन हुआ | विविवि उज्जैन के कुलानुशासक डा शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि शिव जी ने कभी भी व्यंग्य को हास्य से पृथक नहीं किया और यही उनकी ताकत बनी क्योंकि व्यंग्य केवल कटुता का माध्यम नहीं होता और इसीलिए उन्हें बड़े पैमाने पर पसंद किया गया | संपादक ,साहित्यकार डा देवेंद्र जोशी ने कहा कि शिव जी व्यंग्य लिखते ही नहीं जीते भी थे और यही वजह है कि उनका हास्य व्यंग्य प्रयत्न प्रसूत न होकर सहज स्वाभाविक होता था | वे एक ज़िंदादिल इंसान , मुखर बुद्धिजीवी और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले साहित्यकार थे |


व्यंग्यकार डा पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि उनका जीवन संघर्ष , समर्पण , और सफलता का रहा तथा माधव कालेज के छात्र से प्राचार्य तक उनकी यात्रा इसी का प्रमाण है | टेपांजलि में मुंबई से व्यंग्यकार शशांक दुबे ने कहा कि शिव शर्मा जी जैसा  शख्स मैंने जिंदगी में दूसरा कोई नहीं देखा | उनके व्यक्तित्व के कई आयाम थे और हर आयाम में शिव जी ने शिखर छुआ | प्रख्यात कवि नरेंद्रसिंह अकेला ने कहा कि टेपा के जरिये शिव जी ने उज्जैन को सांस्कृतिक जगत में भारत के मानचित्र पर स्थापित किया और ऐसा व्यक्तित्व अब दूर तक कहीं नजर नहीं आता | व्यंग्यकार म्रदुल कश्यप [ इंदौर ] ने कहा कि व्यंग्य के पुरोधा शिव जी से मेरे अनेक यादें जुड़ीं हैं और वे व्यंग्य के महारथी होने के साथ बेहद बेबाक ,साफ दिल इंसान थे | आचार्य प्रो. हरिमोहन बुधौलिया,प्रख्यात कवि दिनेश दिग्गज , प्राध्यापक डा अभिलाषा शर्मा , मुकेश जोशी , संदीप सृजन , अनिल कुरेल ने भी अपनी टेपांजलि दी | आयोजन का समन्वय डा हरीशकुमार सिंह ने और आभार दिनेश दिग्गज ने व्यक्त किया  | 


 


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