*सौरभ"चातक"
माँ सकल सृष्टि का सौंदर्य दर्पण है ।
माँ शब्द-शब्दों का शाब्दिक चित्रण है
माँ शरद-निशा में गिरती अमृत धारा है
माँ भावना के आँगन में तुलसी चौबारा है
माँ अनुभूति की उच्चतम अभिव्यक्ति है
माँ का आशीर्वाद शुभ्र शाश्वत शक्ति है
माँ जीवन की प्रारंभिक प्राण प्रतिष्ठा है
माँ वात्सल्य के प्रति सच्ची निष्ठा है
माँ सत् है, सद्भाव है, समता है
माँ ममत्व से भरपूर निश्छल ममता है
माँ संस्कार है, सभ्यता है, संस्कृति है
माँ धरा पर ईश्वर की अनुकृति है
माँ भूख में अन्न, प्यास में शीतल जल है
माँ हर समस्या का सटीक हल है
माँ दैदीप्यमान दिनकर का दिव्य आलोक है
माँ भगवान द्वारा प्रदत्त मंगल श्लोक है
माँ ईश्वर का भक्तिपूर्ण अनुकरण है ।
माँ परमात्मा से जुड़ने का प्रथम चरण है
इसलिए कहता हूँ ...... कि
माँ की महिमा अपरम्पार है ।
और माँ के नाम हजार है ।।
माँ मन, ममत्व, मनोरथ, ममता है ।
माँ मर्म, मुस्कान, मंथन, मधुरता है ।।
माँ मनोरमा, मनन, माफी, मनोयोग है
माँ माधुर्य, महक, मिलनसार, महायोग है
माँ मुखर, मदद, मेहनत, मुदिता है
माँ मोहलत, मंगलाचरण, मोहक, महत्ता है
माँ महिमा, मिठास, मुग्धा, मधुकर है
माँ माहताब, महोब्बत, महारथ, महावर है
माँ मधुकोश,मधुधारा,मधुयामिनी, मकरंद है
माँ मनीषा, मर्मज्ञ ,मृदुलता, मंगलप्रद है
मांँ मंगलात्सव, मंत्र सिद्धि, मधुलिका, मार्गदर्शक है
मांँ महागौरी, महाशक्ति, मनस्वी ,मार्ग रक्षक है
माँ मनहर, मर्मस्पर्शी, मनभावन, मनोगत है
माँ मुकम्मल, मजबूत, मनोबल, मुहूर्त है
माँ के कारण ही संसार में सब कुछ संभाव्य है ।
क्योंकि माँ समर्पण का अद्भुत महाकाव्य है ।
*सौरभ "चातक", उज्जैन
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