*डॉ. मनोहर अभय
अम्मा क्यों उदास रहती है
पूछ रही बिटिया
क्या बतलाए ?
भादोँ वाली रात अंधेरी
उधर बिजलियाँ तड़क रहीं
दस्यु घुसे दो -चार इधर
नई चूड़ियाँ चटक रहीं
क्षण में लुटी बगीची
श्वेत कुसुम कुम्हलाए
मुँह पर दस पैबंद लगे
हाथ पाँव जंजीर
देह तड़पती मछली जैसे
या कुचली अंजीर
पोर -पोर दुखियाए
हवा ले उड़ी खबर चटपटी
परिचर्चा पोखर पर
रोया कडुआ नीम पुराना
धँसती बाखर पर
सड़े -गले इल्जाम लगाए
खुले बैल सा दस्यु घूमता
दिए जा रहा गाली
चौकी, थाने, कुतवाली में
ढेरों अर्जी डाली
दुखड़ा किसे सुनाए
ताले जड़ी किवाड़ें हँसतीं
खिड़की खड़- खड़ करती
पापिन कह कर बुढ़िया स्यानी
सुबह- सुबह बड़बड़ करती
गाँव गली कतराए
पापिन हूँ हाँ मैं पापिन
धधक पड़ी ज्यों आग दहकती
कालापानी फाँसी दोगे
जिसका पाप लिए फिरती
दस्यु संग मुखिया सुनता था
मुँह में पान दबाए |
*डॉ. मनोहर अभय,नवी मुम्बई
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