*डॉ. अनिता जैन 'विपुला
दाल-रोटी मिले सबको पेट भर
हो ठिकाना, हो छत सिर पर
बच्चा न कोई भूख से तड़पे
कोई किसी का न हक हड़पे
साथ देना हमारी जिम्मेदारी हो
बूढ़ों की अच्छी तीमारदारी हो
यह महामारी ले असुर आकार रही
इंसानियत तुम्हें पुकार रही.....
तालाबंदी में देश बन्द, बाज़ार बन्द
रोज़गार बन्द, सब कारोबार बंद
रोज़ रोटी कमाने वाले सारे
जाए तो जाए कहाँ बेचारे
खाये तो खाये क्या लगे हारे
क्यों ज़िन्दगी लग भार रही
इंसानियत तुम्हें पुकार रही...
बैठे बैठे बन्द घरों में उकताया ज़हान
खौफ़ में है सब, क्या बूढ़े क्या जवान
महामारी का प्रकोप चढ़ रहा परवान
स्वच्छ रहें, मास्क लगा बचाओ जान
डॉक्टर, नर्स, पुलिस के जज़्बे को नमन
हम मिलकर इस महामारी का कर देंगे दमन
सामाजिक दूरी से बचने की विनती कर सरकार रही
इंसानियत तुम्हें पुकार रही....
दुःख पीड़ा सन्ताप का
यह भंवर भी चला जायेगा
एक जुट रहेंगे तो हम सब तो
सुख का समय लौट आएगा
दिल दुआओं में यह कहे
भूखा प्यासा न कोई रहे
आस भरी निगाहें निहार रही
इंसानियत तुम्हें पुकार रही!!
*डॉ. अनिता जैन 'विपुला', उदयपुर
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