*अशोक 'आनन'
धूप ने लिखे -
पसीने से देह पे
ग्रीष्म के छंद ।
*
नावों की पीर -
पांवों में चुभे रेत ।
दिन अंगार ।
*
तरस रहीं -
बूंद - बूंद पानी को
प्यासी नदियां ।
*
वैशाख बैठा -
धूप में खोलकर
लू की गठरी ।
*
कुएं - बावड़ी -
याद आईं नदियां ।
सूखे का दौर ।
*
प्यासे अब भी -
याद करते उन्हें ।
खुश हैं कुएं ।
*
फ़रार हुआ -
हत्या कर कुओं की ।
कुओं से पानी ।
*
प्यासा सूरज -
पी गया सारा पानी ।
प्यास न बुझी ।
*
लाज न आए -
सहलाए बदन ।
धूप बेशर्म ।
*
जलता रहा -
वैशाख अविराम ।
राख न हुआ ।
*
भील कन्या - सी -
सूखके कांटा हुईं ।
ग्रीष्म - नदियां ।
*अशोक 'आनन' ,मक्सी,जिला -शाजापुर ( म..प्र.)
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