*प्रीति शर्मा "असीम"
प्रकृति और मानव का ,
जब तक संतुलित साथ रहेगा।
जीवन की धारा का,
निरंतर तभी तक विस्तार रहेगा।
कद्र मानव जब तक प्रकृति की।
नहीं करेगा।
तब तक आपदाओं का ,
ऐसे ही मचता संहार रहेगा।
प्रकृति और मानव का,
जब तक संतुलित साथ रहेगा।
मानव ने प्रकृति से ,
जब -जब है खेला ।
कभी भूकंप .....
कभी सुनामी ......
अब आकर भीषण आपदा ,
कोरोना आ घेरा।
प्रकृति को संभालो ,
यह रक्षक है मानव की ,
न दौड़ो विकास की अंधी दौड़।
कहीं नहीं मिटेगी यह लंबी होड़ ।।
नाश जब -जब करोगे ।
तब -तब तुम मानव ,
प्रकृति का सामना करोंगे।
किसी न किसी ,
महामारी का सामना करोंगे।
*प्रीति शर्मा "असीम",नालागढ़ हिमाचल प्रदेश
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