*नवीन माथुर पंचोली
बेबसी सी हुई जिंदगी इन दिनों।
भूल ही हम गए शायरी इन दिनों।
ख़ौफ़ इक सारी दुनियाँ में छाया हुआ,
इस तरह कुछ हवाएँ चली इन दिनों।
घर से निकले तो लोगों ने चमका दिया,
यूँ नहीं ये सफ़र लाज़मी इन दिनों।
शब अंधेरे उठाने को तैयार है,
आग बरसा रही चाँदनी इन दिनों।
लग रही हो हमारी जुबाँ तल्ख़ गर,
है किसी से सिला न बदी इन दिनों।
दूरियाँ ही सलामत रखेगी तुम्हें,
ये रिवायत निभा लो सभी इन दिनों।
*नवीन माथुर पंचोली,अमझेरा धार मप्र
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