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सोचा ना था

















*डॉ निशा चौहान

 

यूं तुमसे मुलाकात होगी

यूं तुमसे बात होगी

दिल में एक ख्वाब था

देखा सामने जो चेहरा

वो नायाब था 

होठों पर मंद मुस्कान

चेहरे पर नूर था

शालीनता की मूर्ति

अपने कर्मों में लीन था

देखा उसने इस नजर से

नजारा आंखों में बस गया

पल भर भूल गई यह सपना है

या वह सपना है

जो देखा होगा

मैंने कई बार

कई दिनों तक

मन मस्तिष्क में

घूमता रहा वह चेहरा

यूं अचानक एक दिन उसका

मैसेज आना सोचा ना था

हाल-ए-दिल उधर भी कुछ

इस कदर था सोचा ना था

उसका सपना भी मेरे

सपने जैसा होगा कभी सोचा ना था 

 

*डॉ निशा चौहान, सीमा( रोहडू),

जिला शिमला, हिमाचल प्रदेश




 














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