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साथ उसके ही मैं खड़ा होता















*हमीद कानपुरी


साथ उसके ही मैं खड़ा होता।

दर्द  उसने  अगर कहा  होता।

 

आपसे आ  वहीं मिला होता।

गर न पहरा वहाँ  कड़ा होता।

 

दर्द से तब तो आशना होता।

दर्द कोई  अगर  सहा  होता।

 

काम सब को बड़ा बनाता है,

क़द से कोई नहीं बड़ा होता।

 

पाँव  मज़बूत  गर  हुए  होते,

फिरसहारे सेक्यूँ खड़ा होता।

 

दर्द फिर बाँटता नहीं हरगिज़,

दर्द से गर  वो आशना  होता।

 

*हमीद कानपुरी

  कानपुर



 














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