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फिर ये पर्व मनाना है















*विजय कनौजिया


आओ साथ हमें फिर मिलकर
उत्सव का पर्व मनाना है
गणतंत्र दिवस का हर्ष आज है
ये सबको बतलाना है..।।

भारत का सम्मान आज फिर
विश्व पटल पर अंकित हो
आपस में सद्भाव जगाकर
सबका मान बढ़ाना है..।।

रहे तिरंगा हरदम ऊंचा
चाहे हम और आप नहीं हों
हिंदुस्तान की शान अमर हो
ये विश्वास दिलाना है..।।

भारत तेरे टुकड़े होंगे
ऐसा कहने वालों को
लेते हैं सौगंध आज हम
उनको सबक सिखाना है..।।

देश तोड़ने वालों के
मंसूबे नहीं सफल होंगे
हर मजहब में हम हों शामिल
ऐसा प्यार दिखाना है..।।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
हम सब भारत के वासी
परंपरा भाईचारे की
मिलकर इसे निभाना है..।।

भटक रहें हैं युवा आज कुछ
देश विरोधी नारों से
उनकी भी है जिम्मेदारी
यह भी अब सिखलाना है..।।

सार्वजनिक संपत्ति तोड़कर
आग लगाने वालों को
मिले सबक उनको कुछ ऐसा
उनसे देश बचाना है..।।

हम सबकी है जिम्मेदारी
देश की शाख  बचाने की
आओ मिलकर साथ चलें हम
फिर ये पर्व मनाना है..।।
फिर ये पर्व मनाना है..।।

*विजय कनौजिया
ग्राम व पत्रालय-काही
जनपद-अम्बेडकर नगर (उ0 प्र0)

 


 














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