*डॉ .अनिता सिंह*
अगर मेरी चाहत में तेरी चाहत
नहीं मिली तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तेरी नजरों ने मेरी नजरें
नहीं पढ़ी तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तेरी धड़कनो ने मेरी धड़कनो का
एहसास नहीं किया तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तेरे दिल ने मेरे दिल की आवाज़
नहीं सुनी तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
जिंदगी की सफर में एक राह पर
साथ नहीं चले तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तुम प्यार के बदले मुझे नफरत
करते हो तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
मैं करती रहूँगी यूँ ही तुमसे मुहब्बत दिल से
नहीं समझते तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
*डॉ .अनिता सिंह.बिलासपुर छत्तीसगढ़
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